
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल मेहुल चौकसी को बेल्जियम की शीर्ष अदालत से करारा झटका लगा है।
Belgium Court of Cassation ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर मेहुल चौकसी की याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही निचली अदालत के उस फैसले की पुष्टि कर दी गई है, जिसमें कहा गया था कि भारत भेजे जाने पर चौकसी को टॉर्चर या अमानवीय व्यवहार का खतरा नहीं है।
इसका सीधा मतलब है— अब मेहुल चौकसी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो चुका है।
कोर्ट में अपनी दलील साबित नहीं कर पाए चौकसी
कोर्ट ऑफ कैसेशन ने बुधवार को जारी आदेश में एंटवर्प कोर्ट ऑफ अपील के फैसले को सही ठहराया।
अदालत ने कहा कि मेहुल चौकसी भारत में निष्पक्ष न्याय से वंचित होने का कोई ठोस सबूत नहीं दे पाए। न ही यातना या अमानवीय व्यवहार का खतरा साबित कर सके।
इसी आधार पर कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और 104 यूरो का जुर्माना भी लगाया, जिसका तत्काल भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
इतने करोड़ के घोटाले में 104 यूरो भले छोटी रकम हो, लेकिन फैसला बेहद महंगा पड़ गया।
भारत आने पर कहां रखा जाएगा चौकसी?
भारतीय एजेंसियों ने बेल्जियम कोर्ट को पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि भारत लाए जाने पर मेहुल चौकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, 46 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनी दो बैरक। बाथरूम और सभी बुनियादी सुविधाएं। स्वास्थ्य और अधिकारों की पूरी सुरक्षा। इन सुविधाओं की तस्वीरें भी भारतीय एजेंसियों ने बेल्जियम पुलिस को पहले ही साझा कर दी थीं।

13,000 करोड़ का PNB घोटाला क्या है?
CBI की चार्जशीट के अनुसार कुल घोटाला: 13,000 करोड़ रुपये अकेले मेहुल चौकसी की हेराफेरी: 6,400 करोड़ रुपये। मेहुल चौकसी, गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन और एमडी और उनके भांजे नीरव मोदी पर Letters of Undertaking (LoU) के जरिए बैंकों से धोखाधड़ी का आरोप है।
यह मामला साल 2018 में सामने आया था और भारतीय बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े स्कैम्स में गिना जाता है।
भारत से एंटीगुआ, डोमिनिका और फिर बेल्जियम तक
घोटाला उजागर होने से पहले ही 2018 में मेहुल चौकसी भारत छोड़कर एंटीगुआ और बारबुडा चला गया था, जहां उसने पहले ही Citizenship by Investment के तहत नागरिकता ले ली थी।
2021 में वह रहस्यमय ढंग से गायब हुआ। डोमिनिका में पकड़ा गया किडनैपिंग के आरोप लगाए और 2025 में इलाज के बहाने बेल्जियम पहुंचकर एंटवर्प में रहने लगा।
अब, कहानी लगभग अपने आखिरी चैप्टर में है।
मेहुल चौकसी की पूरी जर्नी एक बात साफ बताती है— देश बदले जा सकते हैं पासपोर्ट बदले जा सकते हैं लेकिन कानून से भागना हमेशा संभव नहीं होता।
अब सवाल सिर्फ एक है— कब, कैसे और कितनी जल्दी भारत लाया जाएगा?
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